आ गया बसंत (घनाक्षरी)
* घनाक्षरी *
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आ गया बसंत नव, राग रंग रूप लिए।
हर्षित प्रफुल्लित सा, प्रकृति का छोर है।
स्नेह पूर्ण भावना जो, मन में उदित हुई।
स्पंदित हृदय पर, चलता न जोर है।
कोंपले नई नवेली, खोलने लगी है आंख।
देखती कहां हो रहा, भ्रमरों का शोर है।
ऋतुराज का हुआ है, आगमन भव्यता से।
नृत्य में मगन हुआ, मस्त मन मोर है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/०२/२०२१
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)