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27 Nov 2021 · 1 min read

——आ कहीं दूर चले——–

आ कहीं दूर चले

सात समंदर दूर नगरी पार चलें आ कहीं दूर चले

जहां प्यार हो , उठती लहरें सूरज की किरण दीदार करें

आ कहीं दूर चले

तेरी अंखियों में देखूं दुनिया तेरे संग हो सारी खुशियां

एक ऐसा संसार चलें आ कहीं दूर चले

दूर तक खामोश हो रास्ते सारे बस तेरा मेरा प्रीत प्यार

चले आ कहीं दूर चले

चल बनाएं सपनों की नगरी हर ख्वाहिश हो जहां पूरी

एक ऐसा वरदान चले आ कहीं दूर चले

ना कोई तेरा ना कोई मेरा बस हमारा अधिकार चले

आ कहीं दूर चले

देखें चल एक सुनहरा सपना हर एक पल हो सुंदर

अपना इन हवाओं- में बह चलें आ कहीं दूर चले ||

‘कविता चौहान’
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 486 Views
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