आज़ाद गज़ल
कहानी में हूँ किरदार की तरह
बाज़ार में हूँ खरीदार की तरह ।
अहमियत बस उतनी है घर में
जैसे चौखटऔर द्वार की तरह ।
कोई मेरे बराबर ही नहीं यहाँ
मैं हूँ चीन की दीवार की तरह ।
वादा करके मुझे भूल गए हैं वो
सनम भी हैं सरकार की तरह ।
अब क्या कहें अजय तुम से
हैसियत में हो बेगार की तरह ।
-अजय प्रसाद