-=- आशीर्वाद – =-
जब जब मुझ पर संकट आया मैंने तुझको सम्मुख पाया
विघ्न विनाशक कष्ट निवारक बन बिगड़ा हर काज बनाया।
मेरे कानों में गुंजित है प्रतिपल तेरा यह मीठा आशीष।
कि सत्कर्मों से सदा जुड़े तू दुष्कर्म पर तेरा झुके न शीश।
कभी भी मन में न लाना यह ख्याल तू कि अनाथ हूँ मैं ।
तेरे शीश पर सदैव आशीषों का वरदानी हाथ हूँ मैं।
तू मेरा प्रिय भक्त है और तेरा प्रिय नाथ हूँ मैं।
हर क्षण था मैं तेरे साथ और सदा भी साथ हूँ मैं।
—रंजना माथुर दिनांक 16/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
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