“आवाहन “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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लिखना हम
चाहते हैं ,
लोगों को सन्देश
देना चाहते हैं ,
प्रतिक्रिया ,उद्गार ,
व्यथा को ,
लोगों को
बताना चाहते हैं ,
जो ज़माने से
अंधेरी गलिओं में
भटक रहे हैं ,
उनको एक
आशा की
किरणों की झलक
दिखाना चाहते हैं ,
जो अर्ध निंद्रा में
आँखें मूँद कर
सोने की ढोंग करते हैं
प्रभातफेरी करके उसे
जगाना चाहते हैं
हम जानते हैं
सोये को जगाना
आसान है
पर जगे को हम
जगा नहीं सकते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका