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17 Nov 2024 · 1 min read

आल्हा छंद

सृजन शब्द-रोष

आल्हा छंद = चौपाई छंद + चौपई
31 =16+15 पदांत पर गुरु लघु अनिवार्य

भगत सिंह ने था ये ठाना, रखनी है भारत की आन।
सबक सिखाना अंग्रेजों को,बेशक जाये मेरी जान।

रोष भरा था तनमन उसके,उमड़ा भीतर था तूफान।
अंग्रेजों को धूल चटाई, जीना उनका किया

किया धमाका संसद जाकर, खोले थे गोरों के कान।
देश छोड़ फिर वो थे भागे,गाया आजादी का गान।
जुल्म सहे थे अंग्रेजों के, मुख पर रहती थी मुस्कान।
सबक सिखाना अंग्रेजों को,बेशक जाये मेरी जान।

चूम लिया था हँसते-हँसते, फंद गले का माला मान।
मर मिटने की बातें करते, देश भक्ति थी उनकी शान।
जोश भरा था रग-रग उनके, इंकलाब को लेते ठान।
सबक सिखाना अंग्रेजों को,बेशक जाये मेरी जान।

सीमा शर्मा

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