आर्त पुकार
मनहरण घनाक्षरी
अब आओ भगवान
पुकार रहा इंसान
कोरोना से परेशान
तू ही एक सहारा।
निकल रही है जान
भूले सब पहचान
दूर करे रोगी जान
तू ही अब हमारा।
अपनो ने छोडा साथ
पकडे न कोई हाथ
विनती सुनो हे नाथ।
देना तुम सहारा।
भूले तुझे निज स्वार्थ
करा नहीं परमार्थ
भय है कोरोना माथ
आर्त मन पुकारा।
(राजेश कुमार कौरव सुमित्र)