आया है मधुमास सखि री नाच रहा मन मोर
वौरा रहे अमबा वागों में,वन वन महुआ मदहोश
पलाश हुए केसरिया बालम,कली कली में जोश
बल खाती चल रही बसंती,करे प्रेम उदघोष
मंडरा रहे भंवरे फूलों पर, मौसम खो बैठा होश
स्वागत में ऋतुराज बसंत के, जगा प्रेम प्रीत परितोष
पोर पोर में गीत बसंती, गूंज उठे चहुंओर
आया है मधुमास सखि री,नाच रहा मन मोर
कोयलिया ने तान छेड़ दी,वागों में पुरजोर
रंग रंगीला फागुन आया, दृश्य बड़ा चितचोर
सजी हुई है प्रकृति साजन, रंग रंगीला दौर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी