Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Aug 2022 · 1 min read

आया रक्षा बंधन

आया रक्षा बंधन त्योहार,
सज गए है सब बाज़ार,

रंग बिरंगी कितनी प्यारी,
देखो राखी बहुत सारी,

खरीद रही है सभी बहने,
पहन कर वो सुंदर गहने,

खाली रहें न कोई हाथ,
बहने आज भाई के साथ,

तिलक लगाकर राखी बांधे,
भाई को प्रेम स्नेह से साधे,

बहन को मिलते खूब उपहार,
चाहती बस खुश रहें परिवार,

भाई से मिले मधुर मीठे बोल,
बहन का उपहार यही अनमोल,

बहन भाई का प्रेम बना रहे,
घर परिवार खुशियों से भरा रहे,

आओ रक्षा बंधन पर्व मनाए,
प्रेम स्नेह से हम रिश्ते महकाए,
———- जेपीएल

Language: Hindi
2 Likes · 257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मोबाइल महात्म्य (व्यंग्य कहानी)
मोबाइल महात्म्य (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
'Being human is not that easy..!' {awarded poem}
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
भाग्य - कर्म
भाग्य - कर्म
Buddha Prakash
देख भाई, सामने वाले से नफ़रत करके एनर्जी और समय दोनो बर्बाद ह
देख भाई, सामने वाले से नफ़रत करके एनर्जी और समय दोनो बर्बाद ह
ruby kumari
मैं उनके मंदिर गया था / MUSAFIR BAITHA
मैं उनके मंदिर गया था / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
पुस्तकें
पुस्तकें
नन्दलाल सुथार "राही"
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं फक्र से कहती हू
मैं फक्र से कहती हू
Naushaba Suriya
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकेँ अछि सम्मान एतय !
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकेँ अछि सम्मान एतय !
DrLakshman Jha Parimal
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
*अलविदा तेईस*
*अलविदा तेईस*
Shashi kala vyas
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
धिक्कार
धिक्कार
Shekhar Chandra Mitra
मेरी जन्नत
मेरी जन्नत
Satish Srijan
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
Maroof aalam
■ शर्मनाक प्रपंच...
■ शर्मनाक प्रपंच...
*Author प्रणय प्रभात*
सबके राम
सबके राम
Sandeep Pande
नववर्ष
नववर्ष
Mukesh Kumar Sonkar
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
" आज़ का आदमी "
Chunnu Lal Gupta
मूल्य मंत्र
मूल्य मंत्र
ओंकार मिश्र
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
अक्सर लोगों को बड़ी तेजी से आगे बढ़ते देखा है मगर समय और किस्म
अक्सर लोगों को बड़ी तेजी से आगे बढ़ते देखा है मगर समय और किस्म
Radhakishan R. Mundhra
"अ अनार से"
Dr. Kishan tandon kranti
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
Dr. Narendra Valmiki
Loading...