*आया डी.जे. (कुंडलिया)*
आया डी.जे. (कुंडलिया)
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आया डी.जे. दौड़कर, छाया चारों ओर
कुछ को परमानंद यह, कहते कुछ यह शोर
कहते कुछ यह शोर, देर तक दिल धड़काए
कुछ पाते आह्लाद, किसी का सिर फट जाए
कहते रवि कविराय, नृत्य कुछ जन को भाया
कुछ को यह आघात, मुसीबत का क्षण आया
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999761 5451