आम से बे खास हो गए
कल तक थे वो आम आदमी
अब तो वो भी खास हो गए
कल तक तो सड़कों पर थे
अब वो कुर्सी प्यार हो गए
कल तक करते थे बिरोध
अब तो उनके साथ हो गए
जन आंदोलन से निकल कर
नेताओं के बाप हो गए
वीआईपी की करी बुराई
खुद अब वी वीआईपी हो गए
गाड़ी बंगला सारी सुविधाओं के दास हो गए
मारे मारे फिरते थे वे फटा सा मफलर बांधे
अन्ना के थे दाएं बाएं
थे लोकपाल को लादे
सबज्बाग दिखलाऐ उन्होंने भ्रष्टाचार मिटाने के
गले गले तक डूब गए हाल हैं यही जमाने के
बन गए आम से खास अब विज्ञापन मैं दिखते हैं
है दिल्ली हैरान कि वे अब खासों से मिलते हैं
सकते में है जनतंत्र की बुलबुल
सकते में हैं अन्ना
क्या होगा इस देश का भैया आगे तुम ही गुनना