Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2022 · 1 min read

आम आदमी अन्ना जी, ठगे ठगे रह गए

आए थे भ़ष्टाचार मिटाने, भ़ष्टाचार में खो गए
कुर्सी पर बैठते ही, आप भी भ़ष्ट हो गए
भूल गए आदर्श सभी, आचार विचार खो गए
लोकपाल लुप्त हुआ, मूल्य सभी ढह गए
सकते में अन्ना जी,जो कहना था कह गए
आम आदमी अन्ना जी, ठगे ठगे रह गए

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुक्तक
मुक्तक
Rashmi Sanjay
चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
Shashi kala vyas
देख भाई, ये जिंदगी भी एक न एक दिन हमारा इम्तिहान लेती है ,
देख भाई, ये जिंदगी भी एक न एक दिन हमारा इम्तिहान लेती है ,
Dr. Man Mohan Krishna
💐अज्ञात के प्रति-87💐
💐अज्ञात के प्रति-87💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#मैथिली_हाइकु
#मैथिली_हाइकु
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
सामाजिक कविता: पाना क्या?
सामाजिक कविता: पाना क्या?
Rajesh Kumar Arjun
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
ज़िंदगी ख़ुद ब ख़ुद
ज़िंदगी ख़ुद ब ख़ुद
Dr fauzia Naseem shad
*हम तो हम भी ना बन सके*
*हम तो हम भी ना बन सके*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भूखे भेड़िए
भूखे भेड़िए
Shekhar Chandra Mitra
करीब हो तुम किसी के भी,
करीब हो तुम किसी के भी,
manjula chauhan
■ सोशल लाइफ़ का
■ सोशल लाइफ़ का "रेवड़ी कल्चर" 😊
*Author प्रणय प्रभात*
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
जिंदगी का हिसाब
जिंदगी का हिसाब
Surinder blackpen
आए अवध में राम
आए अवध में राम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
I want to find you in my depth,
I want to find you in my depth,
Sakshi Tripathi
प्रिये का जन्म दिन
प्रिये का जन्म दिन
विजय कुमार अग्रवाल
वक्त के हाथों मजबूर सभी होते है
वक्त के हाथों मजबूर सभी होते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
“Mistake”
“Mistake”
पूर्वार्थ
अंधेरे का डर
अंधेरे का डर
ruby kumari
प्रिय
प्रिय
The_dk_poetry
मेरी-तेरी पाती
मेरी-तेरी पाती
Ravi Ghayal
कोई मंझधार में पड़ा है
कोई मंझधार में पड़ा है
VINOD CHAUHAN
Loading...