आभासी दुनिया
इस आभासी दुनिया से प्राप्त सभी संबन्धो का मैं हृदय से आदर कर आप सभी आत्मीय जन का उरतल से धन्यवाद कर आप सभी को प्रणाम करता हूँ, आप सभी का वंदन सहित सादर अभिनंदन।
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आभासी कहते सब है पर, रिश्ते यहाँ मिले कई आला।
मित्र,अनुज, गुरु,ज्यैष्ठ भ्रात संग बहनों का है प्रेम निराला।
शुरू कहाँ से अंत कहाँ पर, बतलाना मुश्किल है यारों-
इन रिश्तों के बंध में बंधकर, मस्त मगन फिरता मतवाला।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’