आभार नारी का
नारी है सृष्टा की शक्ति,
सृष्टि निर्माण की सहभागी।
नारी के हैविविध कलेवर,
सारी सृष्टि आभारी।
माता बन पोषण करती है,
संरक्षण अभिवर्धन करती है।
वात्सल्य की वर्षा करती,
सारी सृष्टि आभारी।
बहन रूप से शालीन बनाती,
समता का वह पाठ पढाती।
पवित्रता केमूर्तरुप में,
सारी सृष्टि आभारी।
पत्नि बन सच्चा साथी है,
मित्रता की मूर्ती वही है।
सहानुभूति पूर्ण समर्पण,
सारी सृष्टि आभारी।
पुत्री रूप कोमलता पोषक,
सरसता सरलता का रुपक।
शक्ति रूप का है उपहार,
सारी सृष्टि आभारी।
नारी रूप है श्रेष्ट जगत में,
सरस समर्पण क्षमता है।
बिन नारी जीवन बेरस ह़ै
सारी सृष्टि आभारी।