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11 Feb 2021 · 1 min read

आप रुख़ पर नक़ाब रखते हैं

ग़ज़ल
आप रुख़ पर नक़ाब रखते हैं।
अब्र में माहताब रखते हैं।।

तुमको साये में धूप लगती है ।
सर पे हम आफ़ताब रखते हैं।।

शौक़ से कीजिए जफ़ा हम पर।
हम कहाँ अब हिसाब रखते हैं।।

तल्ख़ लहजा है आपका, फिर भी।
लब पे हम जी, जनाब रखते हैं।।

आप पत्थर उछालिये बेशक।
हाथ में हम गुलाब रखते हैं।।

शायरी आप भी किया कीजै।
शौक़ तो ये नवाब रखते हैं।।

चुभते हो जो “अनीस ” आंखों में।
हम नहीं ऐसे ख़्वाब रखते हैं।।
– अनीस शाह “अनीस”

3 Likes · 5 Comments · 253 Views
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