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2 Mar 2022 · 1 min read

// आपसे…..

// आपसे …..

खुद को हमनें ,
आप बना लिया
खुद से आपसे ,
बातें कर लिया
एक ही नजर में ,
आपको अपना लिया
आखिर ऐसी भी ,
क्या है आपमें ,
कोई खास विशेषता…!

महक जाते हैं
हम तो महज ,
आपकी यादों से
हमें इत्र की ,
क्या आवश्यकता…!

आओ बंधे हम दोनों ,
एकता के सूत्र में ,
कम हो दूरी और
मिटे हमारी अनेकता…!

हमारे आपसी संबंधों में ,
दरमियां बस इतनी रहे ,
रिश्तो में बनी रहे गरमाहट ,
बनी रहे पवित्रता…!

जिंदगी और मौत के ,
बीच के जद्दोजहद में ,
जिंदगी खुशनुमा हो और
मिलती रहे सफलता…!

कोई छूटता है तो ,
मिलता नहीं कोई
बनी है एक पहेली इसमें ,
कोई जीतता कोई हारता…!

इस हार-जीत के खेल में ,
चाहूं मैं जीत जाऊं अगर ,
बनी रहे आप की मुझ पर ,
कुछ ऐसी विनम्रता…!

कि जीवन सफल हो ,
धन्य हो जाए कुछ ,
इस तरह बगिया में ,
खिल रहे हैं पुष्पलता…!

चिन्ता नेताम “मन”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
1 Like · 245 Views
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