आपने क्यों की हिमाकत
आपने क्यों की हिमाकत
दिलजले से की महब्बत
कह दिया मुझको फ़रिश्ता
ख़ूब बख़्शी मुझको इज़्ज़त
भर गया दामन ख़ुशी से
आपने जो की इनायत
फूल से नाज़ुक लवों को
छूने की दे दी इज़ाज़त
बेरुख़ी हमसे जताकर
क्यों निभाते हो अदावत
आपने क्यों की हिमाकत
दिलजले से की महब्बत
कह दिया मुझको फ़रिश्ता
ख़ूब बख़्शी मुझको इज़्ज़त
भर गया दामन ख़ुशी से
आपने जो की इनायत
फूल से नाज़ुक लवों को
छूने की दे दी इज़ाज़त
बेरुख़ी हमसे जताकर
क्यों निभाते हो अदावत