आधुनिक खेल का दौर
आधुनिक खेल एक बड़ा व्यापार है,
संगणक यह कमाल है,
बदल गया खेल का व्यवहार है,
विलुप्त हुआ शारीरिक व्यायाम है,
दौड़ भाग धड़कन की रफ्तार,
होता नहीं खून का संचार है,
न बहता पसीना न नजर आता मैदान हैं,
नए जमाने का खेल प्रचार है,
सिमट गया ‘सॉफ्टवेयर’ के यंत्र में,
आभासी हुआ सारा खेल संसार में,
बच्चे बूढ़े स्त्री पुरुष सभी खेलें,
खेलते हैं ‘इंटरनेट’ के जाल से,
मानसिकता का मनोरंजन करते हैं,
नजरों की ज्योति क्षीण होती है,
घर के अंदर या मैदान का खेल हो,
होते हैं सभी खेल एक ही संयंत्र में,
‘मोबाइल’ और ‘कंप्यूटर’ बिजली संचालित यंत्र है,
जीत और हार तय होता है यहीं पर,
बदलते दौर का खेल है सब,
न जाने आधुनिक खेल ,खेल रहे हैं कितने ।
?
बुद्ध प्रकाश ;
मौदहा हमीरपुर।