*”आदी हो चुकी हूँ मैं “*
“आदी हो चुकी हूं मैं”
गर्भधारण सँस्कार
जब नारी शक्ति गर्भधारण कर ,
नन्हें से शिशुओं को पालती।
उदर में नन्हा सा शिशु कष्ट पाकर ,
गर्भ गृह से बाहर निकलने छटपटाता।
नौ महीने तक गर्भावस्था में रख माँ बनने का सुख पाती।
आदी हो चुकी हूँ मैं…! ! !
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नामकरण संस्कार
उदर से शिशुओं के बाहर आने पर,
नये चेहरा नये रिश्तों में जुड़ जाती।
मातृत्व सुख प्रेम का सुखद अनुभव छाँव दे जाती।
उठना बैठना इधर उधर भागते हुए ,
लड़खड़ाते कदमों से आगे बढ़ना दौड़ना सिखलाती।
“आदी हो चुकी हूँ मैं”…..! ! !
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“नामकरण संस्कार
धीरे धीरे बढ़ते बच्चों का सुंदर नाम रखकर,
उम्र के हिसाब से किताबी ज्ञान पढ़ाती जीवन के अनुभवों को बताती।
पढ़ाई पूरी कर दुनिया भर में नाम रोशन कर उज्ज्वल भविष्य बनाती।
सुख सुविधाएं उपलब्ध करा अपना चैन सुकून दे जाती।
“आदी हो चुकी हूँ मैं”
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सपनों को साकार करते हुए ,
बच्चे अपनी मंजिल तय कर लेते जीवन की तपस्या पूरी हो जाती।
लक्ष्यों को पूरा करते हुए बच्चों के लिए,जीवनसाथी की खोज में चिंतित हो अच्छे घर वर वधू को तलाशती।
“आदी हो चुकी हूँ मैं….! ! !
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विवाह प्रस्ताव सँस्कार
बच्चे जब राजी हो जाते घर परिवार कुंडली मिलान कर ,
शादी की तैयारियों में कितनी परेशान हो जाती।
रीति रिवाजों का पालन करते हुए ,
एक दूसरे के साथ बिताए दिनों के बाद विदाई की बेला आ जाती।
छूट जाता वो साथ बरसों की तपस्या, पल भर में जुदाई दे जाती।
“आदी हो चुकी हूँ मैं”……! ! !
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“बुढापा
बच्चों को अब हमारी मदद की जरूरत नहीं ,
अब वो समझदारी से अपना जीवन खुशी से गुजारते ,
हम अधेड़ उम्र में अधूरापन एकांतवास में तन्हाइयों में जीवन बिताती।
“आदी हो चुकी हूँ मैं”……! ! !
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शशिकला व्यास✍️