आदि गुरु शंकराचार्य
धर्म और संप्रदायों पर जब था, अंधकार का साया
84 संप्रदायों का जब, आपस में मत टकराया
बौद्ध जैन अन्य सभी में, पड़ा तंत्र का साया
धर्म सनातन के उत्थान को, आदि गुरु शंकर आया
भारतवर्ष सुदूर केरल में, एक सितारा उदय हुआ
मां अयारबा पिता शिव गुरु, कलाडी में शंकर का जन्म हुआ
अल्पकाल में ही उन्होंने, वेद शास्त्र पर डालें
8 वर्ष की अल्प आयु में, सन्यास के पथ पर पग डालें
वेद शास्त्र उपनिषद भागवत गीता पर भाष्य किए
कई ग्रंथ रच डाले उनने, समाज को परम प्रकाश दिए
विखरे भारतवर्ष को उनने, अध्यात्म मार्ग पर जोड़ा
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण सबको, चार मठों से जोड़ा
शक्तिपीठ ज्योतिर्लिंग की, उनने प्राण प्रतिष्ठा की
सत्य सनातन में अद्वैतवाद, की सरल व्याख्या की
भारतवर्ष को जगतगुरु ने, एक सूत्र में बांधा
शैव शाक्त सब संप्रदायों को, दशनामी में साधा
अल्प आयु में ही उनने, कार्य बहुत महान किए
धन्य हुई धरती भारत की, भारतवासी कृतार्थ हुए