Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2023 · 3 min read

आदित्य हृदय स्त्रोत

अथ श्री आदित्य हृदय स्त्रोत ( काव्य भावानुवाद)

दोहा-

खड़े राम रण-क्षेत्र में,चिंतित एवं क्लांत।

देख दशानन सामने,किंचित हुए अशांत।।1

ऋषि अगस्त्य प्रभु राम के,पास गए तत्काल।

स्त्रोत मंत्र दे विजय का,उनको किया निहाल।।2

चौपाई

महाबाहु रघुनंदन रामा।सबके अंतर में तव धामा।।

सुनहु स्त्रोत जो जीत दिलावै।बैरी सपनेहु निकट न आवै।।3

सोरठा-

जो करता है जाप, आदित्य हृदय स्त्रोत का।

मिट जाते त्रय ताप, शत्रु नष्ट होते सभी।।4

मंगलमाया-

करे पाप का नाश, सदा मंगलकारी।

मेटे चिंता शोक, सुनो हे अवतारी।।

करो स्त्रोत का पाठ,उठो जागो जागो।

करता आयुष्मान,निराशा सब त्यागो।।5

रोला-

अगणित किरणें साथ, नित्य जो लेकर आते।

करते तम को दूर , प्रभा जग में फैलाते।

सम्मुख जिसके शीश,दनुज सुर सभी झुकाएँ।

उनको पूजो राम, सफलता वहीं दिलाएँ।।6

जयकरी छंद-

सभी देवता इनके रूप,

तेज,रश्मि से युक्त अनूप।

मिले इन्हीं से जग को स्फूर्ति,

करे सभी की रवि ही पूर्ति।।7

सार छंद

रवि ही ब्रह्मा ,रवि ही शिव है ,रवि ही पालनकर्त्ता।

धनद काल यम,स्कंद वरुण भी,वही जगत दुखहर्ता।

सोम, प्रजापति वह ही जग में,सुनो राम अविनाशी।

प्रकट किया सबको उसने ही,क्या मथुरा क्या काशी।।8

मनहरण घनाक्षरी-

अष्ट वसु,प्रजा,प्राण,मरुद उनचास ये,

सभी कुछ प्रभु राम,रवि ने बनाए हैं।

अश्विनी कुमार, मनु,वायु,वह्नि,पितर भी,

प्रभा पुंज दिनमान, रवि के ही साए हैं।

धरा को बनाया सुष्ठु, ऋतुचक्र दान दे,

बहुवर्णी पुष्प सब,रवि ने खिलाए हैं।

शक्ति ऊर्जा भरे उर,विजय दिलाए उन्हें,

शरण आदित्य की जो,श्रद्धा साथ आए हैं।।9

कुंडलिनी छंद-

रघुनंदन आदित्य के,सुनिए पावन नाम।

जिनके सुमिरन जाप से,बनते बिगड़े काम।

बनते बिगड़े काम,सुयश फैले बन चंदन।

होती रण में जीत,शास्त्र कहते रघुनंदन।।10

रुपहरण घनाक्षरी-

आदित्य सविता सूर्य, सुवर्ण सदृश भानु,

हिरण्येता दिवाकर,पूषा गभस्तिमान।

हरिदश्व सहस्रार्चि,सप्तसप्ति शंभु खग,

तिमिरोमंथन रवि,त्वष्टा मरीचिमान।

शिशिरनाशक शंख,भास्कर अदिति पुत्र,

व्योमनाथ तमभेदी, पिंगली शक्तिमान।

आतपी मंडली मृत्यु,सर्व वेद पारगामी,

विन्ध्यवीथि प्लवंगमः,करिए जाप गान।।11

द्विगुणित पद्धरि छंद-

हे सूर्य देवता नमस्कार।

ग्रह नक्षत्र तारों के अधिपति,तुम हरते जग का अंधकार।।

तुम द्वादश आत्मा तेजस्वी,हो उदय अस्त में दिव्य रूप।

जग के रक्षक ज्योति पुंज प्रभु,हे मार्तण्ड तव रूप अनूप।

हे सहस्र किरणों के स्वामी ,है नमन तुम्हें प्रभु बार-बार।

हे सूर्य देवता नमस्कार।

तुम पद्म प्रबोधी वीर उग्र,करते हो तम को खंड-खंड।

जय विजय रूप हे प्रभावान,आदित्य तेज तव है प्रचंड।

ब्रह्मा ,शिव, मुकुंद के स्वामी,कर दो मेरा उर निर्विकार।।

हे सूर्य देवता नमस्कार।

हे जग साक्षी वासर स्वामी,हो तप्त स्वर्ण सम कांतिमान।

विश्व रचयिता, शीत नियंता ,दे दो प्रभु जी भक्ति ज्ञान।

तुम ही रचना, पालन करते ,तुम ही करते जगत संहार।।

हे सूर्य देवता नमस्कार।

वेद यज्ञ जप तप पूजा का ,शुभ फल दे करते कष्ट अंत।

सकल प्राणियों के अंतर में ,जाग्रत रहते हो सदा कंत।

विनय दास की सुन लो स्वामी ,बैरी जाए रणभूमि हार।।

हे सूर्य देवता नमस्कार।।12

दोहा-

कठिन मार्ग भय कष्ट में, जो करता है जाप।

राघव वह सहता नहीं,जीवन में संताप।।13

तीन बार जो स्त्रोत का,जाप करे हो शुद्ध।

जग स्वामी की हो कृपा,जीते वह हर युद्ध।।14

महाबाहु हे राम जी,वध संभव दशशीश।

ऐसा कह निज लोक वे,लौटे पुनः मुनीश।।15

मुनि अगस्त्य उपदेश सुनि,हुआ शोक सब दूर।

तेजोमय रघुवीर तन,दिखा जोश भरपूर।।16

शुद्धचित्त प्रभु राम ने,किया स्त्रोत का जाप।

रावण वध निश्चय किया,निज कर लेकर चाप।।17

विजय प्राप्ति हित राम में,था अतुलित उत्साह।

रावण वध कर्तव्य का,करना था निर्वाह ।।18

जब देवों के मध्य से, रवि ने देखा राम।

‘करो शीघ्रता’ शत्रु का,कर दो काम तमाम।।19

( इति ‘श्री आदित्य हृदय स्त्रोत’ काव्य भावानुवाद )

डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
अनिल कुमार
आह
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
Ravi Ghayal
हे कान्हा
हे कान्हा
Mukesh Kumar Sonkar
2. काश कभी ऐसा हो पाता
2. काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
Rohit yadav
2310.पूर्णिका
2310.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जपू नित राधा - राधा नाम
जपू नित राधा - राधा नाम
Basant Bhagawan Roy
सदा बेड़ा होता गर्क
सदा बेड़ा होता गर्क
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
एकाकीपन
एकाकीपन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अनंत करुणा प्रेम की मुलाकात
अनंत करुणा प्रेम की मुलाकात
Buddha Prakash
✍🏻 #ढीठ_की_शपथ
✍🏻 #ढीठ_की_शपथ
*Author प्रणय प्रभात*
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
Charu Mitra
The Third Pillar
The Third Pillar
Rakmish Sultanpuri
लेखनी
लेखनी
Prakash Chandra
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
लक्ष्मी सिंह
*बहुत कठिन डगर जीवन की*
*बहुत कठिन डगर जीवन की*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आज का भारत
आज का भारत
Shekhar Chandra Mitra
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr Archana Gupta
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
रंग भी रंगीन होते है तुम्हे छूकर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
जीवन की
जीवन की
Dr fauzia Naseem shad
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
gurudeenverma198
माघी दोहे ....
माघी दोहे ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जिंदगी एक चादर है
जिंदगी एक चादर है
Ram Krishan Rastogi
*थर्मस (बाल कविता)*
*थर्मस (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जीवन में जीत से ज्यादा सीख हार से मिलती है।
जीवन में जीत से ज्यादा सीख हार से मिलती है।
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शब्द से शब्द टकराए तो बन जाए कोई बात ,
शब्द से शब्द टकराए तो बन जाए कोई बात ,
ज्योति
दो कदम लक्ष्य की ओर लेकर चलें।
दो कदम लक्ष्य की ओर लेकर चलें।
surenderpal vaidya
बेजुबान तस्वीर
बेजुबान तस्वीर
Neelam Sharma
Loading...