***आदर्श पिता *** ” कल्पवृक्ष”
“आदर्श पिता”*कल्पवृक्ष*
सृष्टिकर्ता के रचयिता मुखिया बनने के लिए ,
आदर्श पिता बनकर फर्ज अदा करता है।
सुख दुःख में भी विशाल हृदय लिए ,
जीवन नैया पार लगाने खेवनहार लगता है।
साक्षी भाव से जिम्मेदारियों का बोझ लिए ,
कर्तब्य पथ प्रदर्शक बन प्रमाण बन जाता है।
चेहरे से दुःख दर्द छिपाकर संघर्षों को झेलते हुए ,
उच्च शिखर मंजिल तक पहुंचाता है।
माँ धरती ,पिता आसमान टिमटिमाते तारों को लिए ,
अटूट विश्वास की धड़कनों में धड़कता है।
लाडला बेटा,पति, आदर्श पिता बच्चों के लिए ,
प्रेम की डोरी में बंध दामन खुशियों से भर जाता है।
आशियाना की नींव का पत्थर बुनियाद लिए ,
सफलताओं की सीढ़ी बन कल्पवृक्ष की छाँव दे जाता है।
जज्बातों , ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए,
सक्षम पुरुषार्थ बन जिगर को थामें रखता है।
आदर्श पिता की तस्वीरों को उकेरने के लिए ,
जीवंत प्रतिमा की पहचान खुदा के रूप धारण कराया है।
मजबूती की ढाल पकड़कर भविष्य के लिए,
चुप्पी साधे मौन रहकर नैनो से अश्रुधारा थाम हिम्मत बंधाया है।
संघर्षों को जूझते अदम्य साहस शक्ति लिए,
विशालकाय कल्पवृक्ष सा अडिग खड़ा हुआ रहता है।
शशिकला व्यास
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