आदर्शों के द्वंद
आदर्शों के द्वंद में ध्वस्त हुए प्रतिमान। संबंधोंके पतनका,हो न सके अनुमान।।
हो न सके अनुमान,जिन्हें हम कहते अपना।
सच से टकराते तो लगता टूटा सपना।।
मन टूटे,संबंध हिलें वर्षों-वर्षों के।
सच्चे मन में द्वंद चलें फिर आदर्शों के।।
आदर्शों के द्वंद में ध्वस्त हुए प्रतिमान। संबंधोंके पतनका,हो न सके अनुमान।।
हो न सके अनुमान,जिन्हें हम कहते अपना।
सच से टकराते तो लगता टूटा सपना।।
मन टूटे,संबंध हिलें वर्षों-वर्षों के।
सच्चे मन में द्वंद चलें फिर आदर्शों के।।