देवता वो
ज़हर पीकर जो पचाए देवता वो
जो ग़मों में मुस्कुराए देवता वो
वक़्त के तूफ़ान से डरना भला क्या
दीप आँधी में जलाए देवता वो
दौरे-नफ़रत ख़त्म हो अब तो अज़ीज़ो!
दुश्मनी को जो भुलाए देवता वो
क्यों गिराते हो किसी को यार मेरे
जो गिरे को भी उठाए देवता वो
है सभी का क़र्ज़ माना हमपे यारो!
क़र्ज़ माँ का जो चुकाए देवता वो