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9 Feb 2023 · 1 min read

“आत्म-मन्थन”

चलाएँ ऐसा, कुछ अभियान,
बढ़े भारत का, जग मेँ मान।
ऋचाएँ वैदिक, अद्भुत, जान,
छुपा है, पँक्ति-पँक्ति मेँ ज्ञान।।

भले टर्की का, हो भूकंप,
सीरिया भी, दहला श्रीमान।
मदद की, भारत ने तत्काल,
कीमती, व्यक्ति-व्यक्ति की जान।।

कहाँ मिलता है, ढूँढे आज,
विश्व भर मेँ, ऐसा प्रतिमान।
लगे यह धरती, एक कुटुम्ब,
सोच सहृदय, सद्भाव महान।।

मित्र या शत्रु, किसी की बात,
विपति मेँ सबका, रक्खें ध्यान।
पड़े जब सम्बन्धोँ, पर आँँच,
नहीं करना, किँचित अभिमान।।

करे कितना भी, कोई बखान,
स्वयं को पर, पहले पहचान।
सुदृढ़ “आशा”, बनती विश्वास,
बात अपने बस, मन की मान ..!

##————##————-##————-

Language: Hindi
13 Likes · 16 Comments · 462 Views
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