” आत्मविश्लेषण “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ‘
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सत्ता के मद में
अहंकार में चूर होकर
कैसे करेंगे
आत्मविश्लेषण?
गल्ती आखिर
किस से नहीं होती है
पर उससे ही सीख कर
हम करते हैं आंकलन !!
पारदर्शिता और असहिष्णुता
के आभाव में देश
अपना चल रहा है
अपरिपक्व के बर्चस्व से
प्रगति-रथ रुक रहा है
कोर्ट तुम्हारा लोग तुम्हारा
जज तुम्हीं बन बैठे हो
दोष मुक्त करके अपनों को
अच्छा निर्णय देते हो !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ‘
दुमका