*आत्मबल ही सत्य पीठ है*
आत्मबल ही सत्य पीठ है
करे जो भरोसा हमेशा बढ़ेगा।
कभी भी हटेगा नहीं जा चढ़ेगा।
भले हो अकेला लगे राह प्यारी।
स्वयं जिंदगी से करे प्रीति न्यारी।
समुद्री तुफानें सदा देख भागें।
बहारें बुलाएं दिखें नित्य आगे।
सदा नव्य धारा बहेगी सुरीली।
दिखेगी निराली सदा प्रीति पीली।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।