Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2020 · 3 min read

आतंकवाद की वैक्सीन

आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जो सदियों से मानवता के विकास में दीमक की तरह लगा हुआ है तमाम सरकारें आईं तमाम गई पर आतंकवाद पर नकेल लगाना तो दूर शायद आतंकवाद के “आ” को भी मिटा नहीं पाई हैं। आतंकवाद की परिभाषा सिर्फ सरहदी आतंकियों, नक्सलियों या घुसपैठियों तक सीमित नहीं है वरन् आतंकवाद यह भी है कि किसी के अधिकारों का जबरन हनन करके उसे नेस्तोनाबूद कर देना या डरा धमकाकर कोने में बैठा देना। लोगों की आवाज को दबाना उनके सम्मान को ठोस पहुंचाना भी आतंकवाद का ही रूप है।
सवाल यह उठता है कि क्या आतंकवाद की कोई वैक्सीन या दवाई है?
शायद है, यदि शांतिपूर्ण नज़रों से देखा जाए तो बिंदुवार समस्त पहलुओं का विश्लेषण करके आतंकवाद की वैक्सीन बनाई जा सकती है।
प्रथम बिंदु – आतंकवाद पनपता कहां से है?
द्वितीय बिंदु – आतंकवाद का विकास करने में सहायक तथ्य?
तृतीय बिंदु – आतंकवादियों का लक्ष्य मानवता का हनन ही क्यों है?
चतुर्थ बिंदु – आतंकवादियों की पीड़ा का निराकरण?
पंचम बिंदु – आतंकवाद का धर्म?

अब मैं बिंदूवार क्रमानुसार समाधान रूपी वैक्सीन का निर्माण करने की कोशिश करता हूं –

प्रथम बिंदु समाधान –
आतंकवाद पनपता है मन के घृणित विचारों से और घृणित विचार आते हैं अशिक्षा को साधन के रूप में अपनाकर उसका दुरुपयोग करने वाले कुत्सित विचारों के धर्मगुरुओं से। यदि हम आने वाली पीढ़ियों को बचपन से ही नैतिक शिक्षा का पाठ मुख्यधारा के साथ जोड़कर उनके स्नातक और परास्नातक की डिग्रियों तक पढ़ाएं जितना मूल्य हम विज्ञान गणित या अंग्रेज़ी को देते हैं उसी तरह नैतिक शिक्षा को भी दें तो भावी बच्चे संबंधों की मधुरता और पारिवारिक तथा पर्यावरणीय नीतियों का अनुपालन कर पाएंगे। विध्वंश की जगह निर्माण की कला का अंकुर उनके मन मस्तिष्क में जागेगा और आने वाली मानवता का पुनर्जन्म मंगल, लोककल्याणकारी और परोपकारी दृष्टिकोण के साथ उजागर होगा। वस्तुत: अशिक्षा को साधन बनाकर आतंकवाद का बीजारोपण करना ही इन धर्मगुरुओं का काम है जो बच्चे के विकास के साथ उसकी बौद्धिकता को कुत्सित कर देते हैं।

द्वितीय बिंदु समाधान –
आतंकवाद का विकास करने में सहायक भूमिका अशिक्षा, धर्मगुरुओं की मानसिक मलिनता, समाज की जाति
धर्म में बंटी हुई रूढ़िवादिता, अपने जाति, धर्मों व लोगों की सर्वोच्चता तथा बहुलता का नाटकीय प्रदर्शन, अधिकारों का हनन ही मुख्यतया कुछ ऐसे तथ्य हैं जो आतंकवाद को बढ़ाने में सहायक है।

तृतीय बिंदु समाधान –
आतंकवादियों का लक्ष्य मानवता का हनन इसलिए है क्योंकि वो किसी सम्प्रदाय विशेष या धर्मगुरुओं के वशीभूत होकर उनके द्वारा बताई गई शिक्षा ( जाति, धर्म विशेष की प्रताड़ना, मौलिकता का हनन, बराबरी का दर्जा ना होना आदि बताकर) को सत्य मानकर जाहिल लोगों की फौज खड़ी कर लेते है जो आतंकवाद को ही अपना धर्म मान लेते हैं और यहीं से उनके मूल धर्म का आस्तित्व खत्म हो जाता है क्योंकि आतंक जहां पर होता है उसका शिकार हर जाति धर्म के लोग होते हैं उस जाति के भी जिसमें उन्होंने जन्म लिया है। आतंकियों को लगता है कि हम समाज को डराकर या उसका विनाश करके अपने अधिकार पा सकते हैं तो यह उनकी गलतफहमी है।

चतुर्थ बिंदु समाधान –
आतंकवादियों की पीड़ा का निराकरण एक अत्यंत दुष्कर सवाल है जिसका प्रत्युत्तर अत्यंत दुष्कर है। परन्तु हम उन्हें प्रेम सौहार्द्र और सत्य का ज्ञान करवाकर उनको आतंकमुक्त मार्ग पर ला सकते हैं। शांति का पाठ सोशल मीडिया के जरिए पढ़ाकर कि उनकी समस्याओं को सरकार सुनेगी, लोग सुनेंगे यदि वे अपनी पीड़ा के बारे में बताएं। आतंकवाद के दुखद अंत के बारे में बताकर, उनके बाद उनके परिवारों का बुरा हश्र बताकर शायद एक पहल की जा सकती है। उन्हें एक मौका देकर कि यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं तो उनकी समस्याओं को समाप्त करके उन्हें एक नई ज़िंदगी दी जाएगी।

पंचम बिंदु समाधान –
आतंकवाद का धर्म समस्त धर्मों से परे है। आतंकवाद की ना कोई सरहद है और ना कोई मुल्क। किसी भी धर्म का व्यक्ति जैसे ही आतंकवाद की शरण में जाता है उसका अपना मूल धर्म और नागरिकता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। यदि किसी धर्म विशेष के लोग आतंकवाद का मार्ग अपनाते हैं तो उस धर्म विशेष के प्रबुद्ध वर्ग को ही आगे आकर उन्हें उस धर्म विशेष या मानवता का पाठ पढ़ाना चाहिए और उन्हें सही मार्ग पर लाने की कोशिश करनी चाहिए और अपने धर्म को बुराई व बदनामी से बचाना चाहिए।
शायद इस तरह ही आतंकवाद की वैक्सीन (टीका) तैयार की सकती है।
जय हिन्द जय भारत।

Language: Hindi
Tag: लेख
21 Likes · 34 Comments · 786 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"गुब्बारा"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
Bhupendra Rawat
मोहब्बत
मोहब्बत
AVINASH (Avi...) MEHRA
बोले सब सर्दी पड़ी (हास्य कुंडलिया)
बोले सब सर्दी पड़ी (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
माफ़ कर दे कका
माफ़ कर दे कका
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2696.*पूर्णिका*
2696.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
आदमियों की जीवन कहानी
आदमियों की जीवन कहानी
Rituraj shivem verma
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
VINOD CHAUHAN
चाँद से वार्तालाप
चाँद से वार्तालाप
Dr MusafiR BaithA
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
तितली रानी
तितली रानी
Vishnu Prasad 'panchotiya'
अहा! जीवन
अहा! जीवन
Punam Pande
👍👍
👍👍
*Author प्रणय प्रभात*
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
goutam shaw
काव्य
काव्य
साहित्य गौरव
टूटती नींद जैसे आंखों में
टूटती नींद जैसे आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सी डी इस विपिन रावत
सी डी इस विपिन रावत
Satish Srijan
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
Phool gufran
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चांद से गुज़ारिश
चांद से गुज़ारिश
Shekhar Chandra Mitra
*भगवान के नाम पर*
*भगवान के नाम पर*
Dushyant Kumar
~ हमारे रक्षक~
~ हमारे रक्षक~
करन ''केसरा''
माँ शारदे...
माँ शारदे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
Sanjay ' शून्य'
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
राम
राम
Suraj Mehra
💐प्रेम कौतुक-491💐
💐प्रेम कौतुक-491💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गर्मी आई
गर्मी आई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...