आज लिख देती हूं…
आज लिख देती हूं
कल सूख कर शब्द याद बनेगा
हम न होंगे फिर भी …
हमारे न होने का ये विवाद बनेगा
वक़्त की धूल भी जम जाए अगर,
नजर पड़ी तो उठ के फिर फ़रियाद करेगा
तेरे आंखों को मेरी याद के आसुओं से अवाद करेगा
यही सूखे शब्द तो जाना
तेरे मेरे रिस्ते हुए रिश्ते का वजूद बनेगा
नाउम्मीदी के धूप छांव में उम्मीद का बुनियाद बनेगा
मैं न सही मेरे शब्द मेरे बाद तुझ से संवाद करेगा
आज लिख देती हूं…
~ पुर्दिल