Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

माँ

आज मातृ दिवस पर
क्या लिखूं मांँ के लिए?
सोचती हूंँ
मांँ को भी लिखा जा सकता है क्या?
मांँ ने ही तो है खुद मुझे लिखा,
नौ माह गर्भ में रख कर उसने
क्या कुछ नहीं सहा।
सोचती हूंँ,
मांँ के हर एक त्याग को
शब्दों में समेटा जा सकता है क्या?
मेरे पास शायद नहीं हैं वो शब्द
जिनमें मांँ को व्यक्त कर सकूं।
अतः बस प्रणाम है हर मांँ को
‘मांँ’ होने के लिए…

– शाम्भवी शिवओम मिश्रा

455 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2318.पूर्णिका
2318.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के"
Abdul Raqueeb Nomani
सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
विजय कुमार अग्रवाल
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
पूर्वार्थ
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
Suryakant Dwivedi
ये सर्द रात
ये सर्द रात
Surinder blackpen
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
Varun Singh Gautam
तेरे हक़ में
तेरे हक़ में
Dr fauzia Naseem shad
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
VINOD CHAUHAN
💐अज्ञात के प्रति-88💐
💐अज्ञात के प्रति-88💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
International Day Against Drug Abuse
International Day Against Drug Abuse
Tushar Jagawat
I.N.D.I.A
I.N.D.I.A
Sanjay ' शून्य'
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में
gurudeenverma198
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
Ravi Prakash
■ शर्मनाक प्रपंच...
■ शर्मनाक प्रपंच...
*Author प्रणय प्रभात*
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वृक्षारोपण का अर्थ केवल पौधे को रोपित करना ही नहीं बल्कि उसक
वृक्षारोपण का अर्थ केवल पौधे को रोपित करना ही नहीं बल्कि उसक
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
Shweta Soni
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"गुलजार"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...