**** आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें ****
28.7.17 **दोपहर** 3.31
आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये
तेरी आँखें
देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर
नज़र आयेगी तुम्हारी आँखों में हमारी आँखें
जिस्म की दूरियां भी नजदीकियां बन जायेगी
ज़रा आंखे बन्द कर देख देखेगी सूरत मेरी तेरी आंखे
झील-सी गहराई है समंदर-सी शांत है
तेरी आंखें
मयखाने-सी मदहोश कर देती है मुझको तेरी आँखे
जाने कौन-सी मय पीने का पैगाम देती तेरी आँखे
ये नजरों के तीर करते हैं मुझको घायल
सम्भालो इन्हें मेरे दिल को चीर देती है ये तेरी आंखें
ना जाने क्यूं भाती है फिर भी मुझे ये तेरी ऑंखें
कहो या ना कहो हमसे प्यार दर्शाती है ये तेरी आंखें
ना मैं भूल पाऊं ना तुम भूल पाओ
दिल की धड़कनें बतलाती है मेरी ये तेरी आँखे
ना जाहिर कर ना मिल मुझसे यारा
तेरी तस्वीर मेरी तक़दीर से मिलाती ये तेरी आँखें
देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर
आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये
तेरी आँखें
?मधुप बैरागी