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2 Oct 2020 · 1 min read

आज फिर नज़रें चुराकर चल दिये

आज फिर नज़रें चुराकर चल दिये
राज़ है कुछ मुँह छुपाकर चल दिये

तीरगी से प्यार कैसे हो गया
एक था दीया बुझाकर चल दिये

दिल मेरा तोड़ा मोहब्बत से बड़ी
और फिर वो मुस्कुराकर चल दिये

शौक़ अपने उनको बतलाते मगर
आदतें अपनी सुनाकर चल दिये

जिस जगह मिलने का वादा था किया
उस जगह हमको बुलाकर चल दिये

वास्ता उल्फ़त का हमने तो दिया
प्यार लेकिन वो भुलाकर चल दिये

बैठकर दरिया किनारे वो अभी
नेकियाँ सारी डुबाकर चल दिये

ज़िन्दगी ‘आनन्द’ पूछी उनसे जब
बेशकीमत है सुनाकर चल दिये

-डॉ आनन्द किशोर

1 Like · 1 Comment · 155 Views
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