आज की तरह
आज की तरह
एक था वो समय
जब मानव था
अभावग्रस्त
फिर भी
नहीं होती थी
मारा-मारी
आज की तरह
तब इंसान नहीं थे सभ्य
परन्तु नहीं थे जन्मपूर्व
क्न्या भ्रूणहत्या से
जघन्य अपराध
आज की तरह
नहीं थे उस समय
बहन, बेटी व बूआ से
पाक-पवित्र
रिश्ते-नाते
फिर भी नहीं थे
यौन अपराध
आज की तरह
-विनोद सिल्ला©