आज का कड़वा सत्य माँ के प्रति बेटे और बहू का रवैया….
ओ माँ जिसने तुझे जन्म दिया..
बचपन से तुझको प्यार किया..
पाल पोस के बड़ा किया..
तुझे बड़ा ऑफिसर बना दिया..
एक दिन उसने सादी कर दी ..
घर मे उसने बहु ला ली..
घर मे पोता पोती आये..
उनको दुलार करती रही..
जब माँ बूढ़ी होने लगी..
सारी जमीन अपने बेटे के..
माँ ने नाम करा दिया..
कुछ दिन बीत गए ऐसे..
लड़के-बहु का रुतबा बदल गया..
उससे न कोई मतलब है..
उसको दुत्कारा जाता है..
न समय से खाना मिलता है..
न सेहत का ध्यान दिया जाता..
बस चिल्लाती बिस्तर पे पड़ी रही..
सबके खाने के बाद..
बचा हुआ बासी खाना..
माँ को देके आ जाते है..
जब घर में कोई function हो…
कहते हैं तूं दूर ही रहना..
तेरे यहाँ आ जाने से..
लड्डु को नज़र लग जायेगी..
माँ भूकी बिस्तर पे पड़ी रही..
खाने तक को नही पूंछा…
जब मेहमान सारे चले गए..
दिन जब ढल गया ऐसे..
तब बचा हुआ खाना..
बहू लेके जो आती है..
जब बिस्तर पे माँ नहीं दिखती..
तब बहू सोच में पड़ जाती..
जब बाहर जागर देखती है..
माँ को इक कोने में पाती..
माँ भी तो इक इंसान है..
बचे हुए फेके खाने से…
पेट अपना भरती रही..
अब तो समझ जाओ यारों..
ओ माँ ही थी जिसने तुमको..
नौ महीने अपने कोख में रखा।
?जै हिन्द जै भारत?
ज्ञानेंद्र सिंह कुशवाहा