Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2021 · 1 min read

आज आदमी सहमा – सहमा सा क्यों है?

आज आदमी सहमा – सहमा सा क्यों है?

आज आदमी
सहमा – सहमा सा क्यों है ?

आज आदमी
डरा – डरा सा क्यों है ?

आज आदमी
वक़्त – बेवक्त हो रही
अनैतिक घटनाओं से
घबराया – घबराया सा क्यों है ?

एक अजीब सी
घुटन वातावरण में
घुल गयी है
एक अजीब सा
वहशीपन वातावरण को
संगीन बना रहा है
आज आदमी
तड़पता – तड़पता सा क्यों है ?

समाज में कुप्रवृत्तियों ने
अपना दामन
पसार लिया है
आज आदमी
छुपता – छुपता सा क्यों है ?

आज नवयौवन
अपने पतन के
रास्ते अग्रसर हो रहा है
आज आदमी
बेसहारा – बेसहारा सा क्यों है ?

नारी व्यथाओं का
एक नया दौर सा
आ गया है
आज आदमी
बेशर्म – बेशर्म सा क्यों है ?

आज वर्चस्व और अपने
आपको जीवित रखने के बीच
होड़ सी लगने लगी है
आज आदमी
बिकता – बिकता सा क्यों है ?

आज भौतिक जगत की
राह पर
भागते हम
हर पल विचलित से
लगते हैं
आज आदमी
पंगु – पंगु सा क्यों है ?

आज दूसरों की
खुशियाँ
हमारी परेशानियों का सबब हैं
आज आदमी

परेशां – परेशां सा क्यों है ?

1 Like · 272 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

" सच्चाई "
Dr. Kishan tandon kranti
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
Kumar Kalhans
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
पूर्वार्थ
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
gurudeenverma198
तुम वही हो
तुम वही हो
ललकार भारद्वाज
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
Tushar Jagawat
प्यार का त्योहार
प्यार का त्योहार
Vibha Jain
एक ही रब की इबादत करना
एक ही रब की इबादत करना
अरशद रसूल बदायूंनी
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
कुछ-न-कुछ तो करना होगा
कुछ-न-कुछ तो करना होगा
कुमार अविनाश 'केसर'
जितना आवश्यक स्थापित प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा है, उतनी ही
जितना आवश्यक स्थापित प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा है, उतनी ही
*प्रणय*
भौतिकवाद के निकम्मेपन से तेवरी का उद्भव +राजकुमार ‘निजात’
भौतिकवाद के निकम्मेपन से तेवरी का उद्भव +राजकुमार ‘निजात’
कवि रमेशराज
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
sushil yadav
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
है प्रीत बिना  जीवन  का मोल  कहाँ देखो,
है प्रीत बिना जीवन का मोल कहाँ देखो,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
रावण उवाच
रावण उवाच
Sudhir srivastava
4166.💐 *पूर्णिका* 💐
4166.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मां की याद
मां की याद
Neeraj Agarwal
कवि और केंकड़ा
कवि और केंकड़ा
guru saxena
*कुछ शेष है अब भी*
*कुछ शेष है अब भी*
अमित मिश्र
इंतज़ार करने की लत
इंतज़ार करने की लत
Chitra Bisht
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
Sanjay ' शून्य'
होली
होली
Dr Archana Gupta
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
Shweta Soni
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*हमारी बेटियां*
*हमारी बेटियां*
ABHA PANDEY
Loading...