आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव (सरसी छंद)
मातृभूमि की रक्षा करना,है पावन कर्त्तव्य।
डटे रहेंगे हम सीमा पर, दिल का यह मंतव्य।।
कभी न विचलित होना जानें,भारत देश महान।
प्यार हिंद की मिट्टी से है,सदा रखेंगे ध्यान।।
भारत माता की प्रतिमा पर,नतमस्तक है शीश।
माँ की संस्कृति अजर -अमर है,साक्षी हैं जगदीश।।
रामकृष्ण बजरंग यहाँ हैं,नित्य सनातन धर्म।
भारत को आजाद रखेंगे,यही हमारा कर्म।।
अंग्रेजों के कुटिल तंत्र से,देश हुआ आजाद।
विस्मिल्ला-आजाद-बोस से,भारत अब आबाद।।
आजादी के शुभ उत्सव पर,अति उत्साह -उमंग।।
विकसित भारत लक्ष्य हमारा,यह मन का प्रिय रंग।।
एक दूसरे से हिल-मिल कर,सदा करेंगे काम।
भाईचारे का बंधन ही,होगा निर्मल धाम।।
आजादी उत्सव अमृत है,पी कर हम सब मस्त।
तोड़ेंगे हम सब दुश्मन को,सतत करेंगे त्रस्त।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।