आजादी का अमृत महोत्सव
शुभ आजादी का अमृत महोत्सव मिल कर सभी मनाएं.
जो राष्ट्र केतु निज स्वाभिमान का घर घर में फहराएं.
ध्वजा नहीं है मात्र तिरंगा शिव संकल्पों का द्योतक है.
सन्यास अहिंसा त्याग कर्म तप सबका ही उद्घोषक है.
संस्कृति और संस्कार हमेशा आचरणों में अपनाएं.
शुभ आजादी का……. सभी मनाएं.
यह तोरण अपनी संप्रभुता का स्वाभिमान का है प्रतीक.
आन मान सम्मान संजोए हरदम जग में रहता अभीक.
बाधाएं जो पथ पर आएं बढ़ा अडिग पग कुचल मिटाएं.
शुभ आजादी का…… .मिलकर सभी मनाएं.
केसरिया रंग मे इसके ज्योतित सूरज का तेज भरा है.
विहंसित धरती अन्न प्रसूता प्रकृति सलोना रंग हरा है.
श्वेत रंग सद्भाव शांति का गतिशीलता चक्र की पाएं.
शुभ आजादी का…… मिलकर सभी मनाएं.
भारत का अभिमान तिरंगा ध्वज बलिदानों की गाथा है.
जिस अजेय के प्रति आदर से हो जाता नत हर माथा है.
ऐसे ही बीर सपूतों को नित नित श्रद्धा सुमन चढ़ाएं.
शुभ आजादी का….. .. मिलकर सभी मनाएं.
स्नेह तंतु राखी का इसमें मांगों का सिन्दूर छिपा है.
बूढ़े बापू का दण्ड लगा जननी दृग का नूर छिपा है.
वन्दे मातरम् जन गण मन को कण्ठ कण्ठ भारत के गाएं.
शुभ आजादी का अमृत महोत्सव मिल कर सभी मनाएं.
जो राष्ट्र केतु निज स्वाभिमान का घर घर मे फहराएं.
त्रिभुवन शंकर मिश्र ” चातक “