आचरण
वर्ण पिरामिड
है
युग
प्रभाव
आचरण
नदारद है
पथ भ्रष्ट लोग
कर्म धर्म है कहाँ ।
क्या
हुई
गायब
मानवता
श्रद्धा विश्वास
टुकड़े टुकड़े
होती रहती जहाँ ।
ये
सभी
जानते
पछताते
अच्छा चाहते
भूलआचरण
कैसे होगा सुधार ।
ये
कैसी
पशुता
सुन रहे
लव जिहाद
पैंतीस टुकड़े
कौन कसूरदार।
राजेश कौरव सुमित्र