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4 Apr 2024 · 1 min read

आखिर क्यों

लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
भाषा हिंदी
विषय वो लम्हें
शीर्षक आखिर क्यों

वो लम्हें जो सुखदायक होते हैं बीत जाते तत्परता से आखिर क्यों ?

वो लम्हें जिन्हें नहीं चाहते हम भुलाना भूल जाते हैं अनभिज्ञता में, आखिर क्यों ?

वो लम्हें जो दुखदायक होते हैं नहीं बीतते लाख कोशिशों के बाद भी,आखिर क्यों ?

ये जिन्दगी एक पहेली सी क्षमता ममता की ख़ोज में समर्पित है ।

प्रेम प्यार चाहते हम सभी लेकिन मिलती जुदाई और बिचोह है।

वो लम्हें जो पीड़ादायक देते हैं सताते सालों साल ही आखिर क्यों ?

कौन किसका मददगार है और कौन किसका हाथ पकड़ कर ले चलेगा पार ।

ऐसे अनगिनत सवालों में उलझा रहता है ये जीवन जी रहे हम सभी ।

यदि मालूम है आपको तो समझा देना इस अबोध बालक को भी ऋणी रहूंगा जिंदगी के साथ और जिन्दगी के बाद भी।

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