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10 Jan 2023 · 1 min read

आखिर कौन हो तुम?

तेरी मुश्कान में शान,
जबकि मौन हो तुम।
मेरे कान्हा कभी बतला तो,
आखिर कौन हो तुम?

तू लड्डू गोपाल है क्यों
गायों का रखपाल है क्यों?
मीरा पर कृपाल है क्यों
द्रोपदी लजपाल है क्यों?

धारते पंख मोर क्यों
बनते माखन चोर क्यों?
करती सुर से शोर क्यों
भाती बंसी तोर क्यों?

गोपियां तुमको लखा क्यों
सुदामा के हो सखा क्यों?
गीता ज्ञान भखा क्यों,
साग विदुर घर चखा क्यों?

पार्थ रथ हँकाई क्यों,
बने सेन नाई क्यों?
रास को रचाई क्यों,
कंस के कसाई क्यों?

कोई कभी तुझे न पहचाने,
क्या क्यों कैसे तू ही जाने।
उनके तो तुम हो मयखाने।
जो भी तेरे हैं दीवाने।

दुष्टों को थे आये मारण।
भक्तों जनों के कष्ट निवारण।
पतितों का भी करते तारण।
जो भी किया बस ‘प्रेम’ था कारण।

रचना तिथि- 19अगस्त 2022
सतीश शर्मा सृजन
लखनऊ (उ.प्र.)

Language: Hindi
130 Views
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