आकाश
सब कुछ समा जाते मगर
वह किसी में समा नहीं पाते,
हर कोई उसे छुना चाहते
वह किसी को छु नहीं पाते,
कैसी विडंबना है देखो
इतना विशाल है मगर
अपना अस्तित्व खुद
महसूस कर नहीं पाते ।
सब कुछ समा जाते मगर
वह किसी में समा नहीं पाते,
हर कोई उसे छुना चाहते
वह किसी को छु नहीं पाते,
कैसी विडंबना है देखो
इतना विशाल है मगर
अपना अस्तित्व खुद
महसूस कर नहीं पाते ।