आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
#आकांक्षा -2024 अंक की समीक्षा
‘#आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका
वर्ष 19, अंक 19 सन- 2024
#नदी_विशेषांक
संपादक- श्री #राजीव_नामदेव_राना_लिधौरी”
प्रकाशक- मध्य प्रदेश लेखक संघ जिला इकाई (टीकमगढ़)
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कौनउ भी साहित्यिक पत्रिका कौ 19 वरसन सें लगातार प्रकाशन होवो उकी स्वीकार्यता, प्रसिद्धि, प्रामाणिकता अरु संपादक के श्रम को प्रदर्शित करत है. टीकमगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि, व्यंग्यकार, लेखक अरु मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त श्री राजीव नामदेव जी के संपादन में विगत 19 वरसन से तमाम साहित्य रस को अपने में समेटे ‘आकांक्षा’ पत्रिका कौ प्रकाशन निरंतर जारी रखो है।
‘आकांक्षा’ पत्रिका अपने अंचल के साहित्यकारों की रचनाओं कौ प्रतिनिधित्व तो करतइ है संगे ही देश, प्रदेश के अन्य जिलों के साहित्यकारों की रचनाओं को भी इ पत्रिका में शामिल करो जातइ रऔ है।
‘आकांक्षा’ पत्रिका प्रतिवर्ष एक विशेषांक के रूप में प्रकाशित होत चली आ रइ है. जा पत्रिका कभउ मां को, कभउ पिता को, कभउ हिंदी भाषा को तो कभउ बुंदेली को समर्पित की जात रई है।
‘आकांक्षा’ कौ जो अंक जीवन दायिनी नदियों को समर्पित है. पत्रिका में विशेष परिशिष्ट के अंतर्गत हाजी जफरउल्ला खां ‘ज़फ़र’ की ग़ज़लों को प्राथमिकता के संगे प्रकाशित करो गऔ है।
‘आकांक्षा’ के सबइ अंकों में लेखक संघ की वार्षिक गतिविधियों के अतिरिक्त अबै तक सम्मानित कविगणों की सूची, लेखक संघ के बैनर तले विमोचित भई कृतियों की सूची, भोपाल इकाई द्वारा सम्मानित कवियों की सूची, स्वर्गीय पन्नालाल नामदेव स्मृति सम्मान सूची, स्वर्गीय रूपा बाई नामदेव स्मृति सम्मान सूची भी प्राप्त होत है जो कै इ पत्रिका को एक दस्तावेज के रूप में व्यक्त करत है।
‘आकांक्षा’ साहित्यिक पत्रिका अपने में गीत, ग़ज़ल, आलेख, लघु कथाएं के अतिरिक्त व्यंग्य को समाहित करत है।
पत्रिका के इ अंक में श्री सुभाष सिंघई बुंदेली मुक्तक में नदियों की महिमा बखान करत भए लिखत हैं-
नदियों में बुड़की लगा
करत तिली को दान
पहले अरघा देत है
ऊगत रवि भगवान।
नदियां भारत देश की
कल-कल करें प्रवाह
जीवन में आनंद दे
अमृत लगे सामान।।
श्री उमाशंकर मिश्रा जी की रचना “जिंदगी एक नदी” जीवन को एक नदी की तरां व्यक्त करत है वे लिखत हैं-
ज़िंदगी एक नदी आघोपांत जन्म से मृत्यु तक
कहीं कलकल कहीं शांत
कहीं तीव्र कहीं मंद
कहीं बंधी हुई कहीं स्वच्छंद
फिर भी अग्रसर लगातार
हर बाधा करती पार।
डॉ.राज गोस्वामी की रचना नदी को स्वच्छ रखवे अरु अविरल बहते रहवे को प्रेरित करत है। वे लिखत हैं-
करो न मन की गंगा मैली बस अब रहने दो।
रोको नहीं नदी का पानी अविरल बहने दो।।
शौच करो न कभी खुले में न मैला डालो।
कचरा घर से इसे बचाओ सुनो वतनवालो।।
श्री प्रमोद मिश्रा की बुंदेली गारी अंचल की सभइ नदियों को काव्य में पिरोकर सुख अरु समृद्धि व्यक्त करत प्रतीक होत है। वे लिखत हैं-
बउत बेतवा टीकमगढ़ में नगर ओरछा धाम जू
उतई विराजे राम जू / आई जामनी खूब बहात।
नदी उते सातार कहात / जन-जन इतै नहात।।
पत्रिका के विशेष परिशिष्ट में श्री हाजी ज़फ़ररल्ला की ग़ज़लें जीवन का यथार्थ प्रस्तुत करत नज़र आत है।
‘आकांक्षा’ पत्रिका कौ जो अंक साहित्य की मुल्कन विधाओं के संगे- संगे आमजन को सामान्य ज्ञान सोउ उपलब्ध करा रऔ है इमें श्री राजीव नामदेव के आलेख “भारत की प्रमुख नदियों के उद्गम अरु उकी लंबाई, बुंदेलखंड की प्रसिद्ध नदियां और नदियों के बारे में कछू रोचक जानकारियां, सामान्य ज्ञान से परिपूर्ण आलेख है।
श्री राम गोपाल रैकवार जी द्वारा जमड़ार नदी पै लिखो गऔ खोजपूर्ण आलेख है।
64 पृष्ठों की, रंगीन सुंदर कवर पृष्ठ से सुसज्जित जा पत्रिका नदी पर गीत, ग़ज़ल, कविता, सामान्य ज्ञान, खोजपूर्ण आलेख की दृष्टि से गागर में सागर है. इ दृष्टि से श्री राजीव नामदेव द्वारा संपादित ‘आकांक्षा’ पत्रिका कौ जो अंक पठनीय अरु संग्रहणीय बन पड़ो है।
टीकमगढ़ की काव्य परंपरा को अपने में समेट जा पत्रिका टीकमगढ़ के इतिहास में एक ऐतिहासिक पत्रिका बनवे की ओर अग्रसर है।
पत्रिका के संपादक, सह संपादक, सहयोगी, प्रकाशक अरु पत्रिका में इस्थान पाये सबइ कवियों को भौत-भौत बधाई अरु शुभकामनाएं।
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समीक्षक ✍
– #विजय_मेहरा
अध्यक्ष –
#श्री_वीरेन्द्र_केशव_साहित्य_परिषद
पुस्तकालयाध्यक्ष
#शासकीय_जिला_पुस्तकालय_टीकमगढ़
#साभार-
अनुश्रुति-13 (संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी’) बुंदेली त्रैमासिक ई पत्रिका अंक-13 वर्ष -4(अक्टूबर-दिसंबर-2024) से साभार