*आओ लौटें फिर चलें, बचपन के दिन संग(कुंडलिया)*
आओ लौटें फिर चलें, बचपन के दिन संग(कुंडलिया)
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आओ लौटें फिर चलें ,बचपन के दिन संग
गुब्बारे सौ – सौ लिए , जाने कितने रंग
जाने कितने रंग ,पहाड़ों पर चढ़ जाएँ
देखें बादल दूर , मस्तियाँ ले – ले आएँ
कहते रवि कविराय ,देवता वर दे जाओ
तन में फिर उत्साह ,बालपन लेकर आओ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451