Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2021 · 1 min read

आओ चले देखने दशहरा

आओ चले देखने दशहरा,

सब चले दशहरा जीतने,
ले हाथों में सब हथियार,
बज रहें देखों ढ़ोल नगाड़े,
गलियों में गूँज रहीं जयकार,

लाठी, तलवार और बंदूक,
चले देखों बच्चें बूढ़े जवान,
पहुँच गए सब बजरंग मंदिर,
लगता कितना सुंदर जहान,

बच्चें सब उछल कूद रहें,
मस्ती में सारे देखों घूम रहें,
यहाँ वहाँ न अब वो बैठ रहें,
गन्ना खाकर देखों झूम रहें,

बंदूक से गोली चलने लगी,
निशाना लगाने की मची होड़,
हवन का धुँआ उठने लगा,
बच्चे लगाने लगे घर की दौड़,

ढूँढ रहें सब नीलकंठ को,
कोई आसमान ताक रहा,
कुछ यहाँ वहाँ देख रहें,
कोई पेड़ो पर झाँक रहा,

अब लौट रहें हैं सब घर,
द्वार द्वार कन्या हैं खड़ी,
हाथों में लिए वो कलश,
सिक्के मिले सोच अड़ी,

कितना सुंदर सुहाना पर्व,
गाँव के दशहरे पर हैं गर्व,
——-जेपीएल

Language: Hindi
242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
याद आती है
याद आती है
Er. Sanjay Shrivastava
भाग्य - कर्म
भाग्य - कर्म
Buddha Prakash
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फिर एक बार 💓
फिर एक बार 💓
Pallavi Rani
इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
कवि दीपक बवेजा
अच्छाई ऐसी क्या है तुझमें
अच्छाई ऐसी क्या है तुझमें
gurudeenverma198
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
*
*"सदभावना टूटे हृदय को जोड़ती है"*
Shashi kala vyas
जय जय नंदलाल की ..जय जय लड्डू गोपाल की
जय जय नंदलाल की ..जय जय लड्डू गोपाल की"
Harminder Kaur
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
Deepesh सहल
*अतिक्रमण ( हिंदी गजल/गीतिका )*
*अतिक्रमण ( हिंदी गजल/गीतिका )*
Ravi Prakash
" लक्ष्य सिर्फ परमात्मा ही हैं। "
Aryan Raj
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
#निस्वार्थ-
#निस्वार्थ-
*Author प्रणय प्रभात*
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
2532.पूर्णिका
2532.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
Dr Archana Gupta
हमने खुद को
हमने खुद को
Dr fauzia Naseem shad
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
हमारी संस्कृति में दशरथ तभी बूढ़े हो जाते हैं जब राम योग्य ह
Sanjay ' शून्य'
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
ना मानी हार
ना मानी हार
Dr. Meenakshi Sharma
कैसे कहें हम
कैसे कहें हम
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-347💐
💐प्रेम कौतुक-347💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
AJAY AMITABH SUMAN
हम बात अपनी सादगी से ही रखें ,शालीनता और शिष्टता कलम में हम
हम बात अपनी सादगी से ही रखें ,शालीनता और शिष्टता कलम में हम
DrLakshman Jha Parimal
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
पूर्वार्थ
अनुभूति
अनुभूति
Punam Pande
Loading...