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4 Nov 2021 · 1 min read

आई है दीवाली रात

जगमग दीप जल उठे मिट गया अंधकार
क्यूंकि आई है दीवाली रात

इक दीया तुम भी जलाओ राह में अपनी
दूर हो तमस दुख विलाप

सबके लिए कुछ खास एक नव प्रभात
उज्ज्वल सा देदीप्यमान आकाश
चारों ओर फैल गया सतरंगी प्रकाश
क्यूंकि आई है दीवाली रात

करके रंग रोगन साज सज्जा
चमक उठे घर द्वार
शामियाने से लग रहे हर पथ
प्रकाशमय हुए दिन रात

रोशन हो उठा गगन अनेक पटाखों से
झूम उठे नन्हे दिल भी लेकर फुलझड़ी ओर मिठाई
फैल गया कोलाहल हर सड़क गलियारों में।

व्यस्त हो उठी माता बहनें भी रसोई ओर पकवानों में
खिल उठे मुख सभी के पाकर खुशियों की सौगात

इक नव जीवन का आलोक उजास
दमक उठी अमावस की काली निशा
क्यूंकि आई है दीवाली रात।।

” कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
150 Views
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