*आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)*
आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)
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आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग
सुखद चली ठंडी हवा ,जेठ रह गया दंग
जेठ रह गया दंग ,अकड़ अब किसे दिखाए
गर्मी का सम्राट , राज अब कहाँ चलाए
कहते रवि कविराय ,ताप ने मुँह की खाई
सबके मन आह्लाद, लोक – हित वर्षा आई
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451