*आई बारिश घिर उठी ,नभ मे जैसे शाम* ( *कुंडलिया* )
आई बारिश घिर उठी ,नभ मे जैसे शाम ( कुंडलिया )
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आई बारिश घिर उठी ,नभ मे जैसे शाम
दोपहरी में मिल गया ,सूरज को आराम
सूरज को आराम ,पड़ीं फिर बूँदें मोटी
किंकर्तव्यविमूढ़ ,ग्रीष्म की नीयत खोटी
कहते रवि कविराय ,घटा काली है छाई
मौसम देखो मस्त ,सुखद ऋतु वर्षा आई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451