*आई ऋतुरानी शरद 【कुंडलिया】*
आई ऋतुरानी शरद 【कुंडलिया】
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आई ऋतुरानी शरद , लिए शीत मृदु हास
धवल खिली है चाँदनी , महारात्रि मधु रास
महारात्रि मधु रास , विदा वर्षा पा जाती
सुखद ओस की बूँद ,क्षितिज पर आ लहराती
कहते रवि कविराय ,दिव्य नूतन छवि छाई
मन में नव – उल्लास , नई ऊर्जा है आई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451