, आंखों आंखों में
आंखों ही आंखों में कह दी बातें।
चुपके-चुपके होने लगी मुलाकातें।
दिल के बदले ,दिल दिया उसे हमने
जाग जाग कर कटने लगी रातें।
तड़प इश्क की ऐसी समाई मन में
आंखों से होने लगी बरसातें।
बेवफाई करके गया वो ऐसे हमसे
निभाई दुश्मनी,कर गया घातें।
लौट के देखूं,तो वो एक साया था
जाते-जाते दिखा गया औकातें
सुरिंदर कौर