आंखें बंद करती हूं तो भी
आंखें बंद करती हूं तो भी
पलभर का आराम नहीं
मिलता बल्कि
दिल में और तूफान सा उठ
जाता है
रहा सहा चैन और
सुकून भी
हवा सा काफूर हो जाता है
दिल इतना बेचैन क्यों है
न जाने इसे किसकी तलाश है
इस सवाल का जवाब भी
कोई कहीं से मिल नहीं पाता
सब कुछ हाथ से एक एक करके
छूटता जा रहा है पर
उसे वापिस पाऊं कैसे
समझ नहीं आ रहा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001